शुक्रवार, 28 जनवरी 2011


अद्भुत रूप अमंगल नाशिनि,

आदि अनंत अनूपा है गंगा ।

भूमि विहारिणि कल्मषहारिणि ,

देवता है, सूरभूपा है गंगा ।

ब्रह्मद्रवी सब जानते हैं पर

सत्य में ब्रह्मस्वरूपा है गंगा ।

देती क्षुधा को असीमित तृप्ति

सुभक्तजनों की अपूपा है गंगा ॥

मंगलवार, 25 जनवरी 2011


पाप की नाशिनि,ताप विनाशिनि,

वारि निवासिनि दानी है गंगा ।

शीश निवासिनि औ मृदुहासिनि

काशी सुहासिनि बानी है गंगा ।

भाव प्रकाशिनि,त्रासद नासिनि,

औ अनुशासिनि , मानी है गंगा ।

काव्य सुभासिनि ,ज्ञान विकासिनि,

एक अनूठी कहानी है गंगा ॥

शुक्रवार, 21 जनवरी 2011

मातु तुम्हारी अनेक कथा

कहता कोई शैलसुता तुम्हें गंगा

ब्रह्मकुमारी , सुकृष्णसुता

कोई भागीरथी दुहिता तुम्हें गंगा ।

विष्णुपदी कोई जह्नुजा रूप

कोई सुर की सरिता तुम्हें गंगा ।

राधा श्रीकृष्ण कपोल के स्वेद से

जायी हुई कविता तुम्हें गंगा ॥

भक्तिमयी , शिवशक्तिमयी ,

अनुरक्तिमयी , जलधारिणी गंगा ।

योग प्रकाशिनि, रोग विनाशिनी ,

भावमयी , जगतारिणि गंगा

स्वर्ग विभासिनी हो कलुनाशिनी

.शंकर शीश विहारिणि गंगा ।

ध्यान से गान से पान नहान से

सर्वदा ही सुखकारिणि गंगा ॥

शनिवार, 15 जनवरी 2011


शंकरी , भेषज रूपा कहे

विषहंत्री कहे शिवदा तुम्हें गंगा ।

मंगला, दक्षा , कहे रेवती

बृहती, सुवृषा, वरदा तुम्हें गंगा ।

मन्दाकिनी , जग जाह्नवी जाने

बखाने शिवा, क्षणदा तुम्हें गंगा ।

देवनदी कोई देवधुनी

कोई हेमवती, ननदा , तुम्हें गंगा ॥

गुरुवार, 13 जनवरी 2011


गोमुख नीचे जहाँ मिलती गति

विष्णुप्रयाग, प्रणाम है गंगा ।

कूजित है कलनाद जहाँ

वह कर्णप्रयाग, प्रणाम है गंगा ।

नेह से तू नहलाती धरा जहँ

नन्दप्रयाग, प्रणाम है गंगा ।

रूप जहाँ बहुरुप लगे वह

देवप्रयाग, प्रणाम है गंगा ।।

सोमवार, 10 जनवरी 2011


हे अमरापगे , माते हरीतिमा,

श्यामला रूप , प्रणाम है गंगा ।

हे सुखराशिनी , माते समुन्नता ,

निर्मल रूप , प्रणाम है गंगा ।

व्योम निवासिनि , हे अघनाशिनि ,

हे नदी भूप , प्रणाम है गंगा ।

हे समुदारा , मुदा , अतुला ,

कमला बहुरूप , प्रणाम है गंगा ॥

बुधवार, 5 जनवरी 2011

भूमा औ भूमिका भोगवती,
उद्धारिणी अत्ता प्रणाम है गंगा ।
उस्रा वसुंधरा तग्या वितन्वी,
महा गुणवत्ता प्रणाम है गंगा ।
भद्रा हिमाद्रिजा हंसपदी ,
जननी सुरसत्ता प्रणाम है गंगा ।
तू मिषती घृतधारा मधुस्रवा,
पृश्नी अभिद्धा प्रणाम है गंगा ।।