गंगा : डॉ.उमाशंकर चतुर्वेदी 'कंचन'
गंगा
मंगलवार, 26 जून 2012
पधारी हो गंगा
दीन दुखी बड़े सभ्य सुखी
सच में सबकी महतारी हो गंगा .
नेक जनों को तो तारी ही हो बड़े
पातकियों को भी तारी हो गंगा .
है इतिहास असंख्य जनों का
तू जीवन जन्म सुधारी हो गंगा .
औ ' भवलोक के शोक मिटाने
के हेतु धरा पे पधारी हो गंगा
बुधवार, 20 जून 2012
ब्रह्म प्रताप है गंगा ..
है सुनती सबकी गुनती
मन में चुनती ये अमाप है गंगा .
आयी भगीरथ के श्रम से
इस हेतु भगीरथ जाप है गंगा .
दीनदुखी पर धर्ममुखी
उनके लिए माई औ बाप है गंगा .
देव भी प्रार्थना जाकी करे
वह देवि है , ब्रह्म प्रताप है गंगा ..
सोमवार, 18 जून 2012
द्रव्य है गंगा ..
कान में नाम पड़े मुकुती
मिलती जिससे वह श्रव्य है गंगा .
भान कराती है धर्म अधर्म का
भावमयी वह भव्य है गंगा .
मान सदा बढ़ जाता है पित्र का
बूंद के रूप में कव्य है गंगा .
शान बघारते देव सभी नित ,
ज्ञान , दयामयी , द्रव्य है गंगा ..
रविवार, 17 जून 2012
विभास है गंगा
विश्व विमोहिनि ,राक्षस द्रोहिनि ,
वैभव ,वाणी विलास है गंगा .
बिंदु से सिन्धु है मोहित इन्दु है
हिन्द सुखी की विकास है गंगा .
माता है ,दाता है ,भाग्य विधाता है
लोगन का ये विश्वास है गंगा .
जीवन ज्योति कभी नहीं सोती है
विष्णुपदी है विभास है गंगा।.
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