बुधवार, 22 अगस्त 2012

पवित्र ये गंगा

देखने में ये मनोरम है 
बहुबिम्ब दिखाती सचित्र है गंगा .
दादा के दादी की, नाना के नानी की 
नानी की भी रही पित्र है गंगा .
कोई कुगामी भले रिपु माने 
परन्तु सभी की ये मित्र है गंगा .
पाहन पावन और अपावन को 
करती है पवित्र  ये गंगा ..
सुर्यसुता को समेटी  है ये
सुखधाम की श्री अरु सोम है गंगा .
वामन रूप में विष्णुबली  की 
कथा की गवाह ये व्योम है गंगा .
है अरुणा, वरुणा, करुणा यह 
तेज की पुंज है, ओम है गंगा .
आयुष बाँटती है दिन रात 
सदा विषसार विलोम है गंगा..


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