शनिवार, 17 मार्च 2012

भगीरथ गंगा .

कैसे कहूँ कितना महनीय है 
एक तपी की तू कीरत गंगा . 
राग विराग तियाग भू भाग 
दिखात निरंतर श्री रथ गंगा . 
तू जिस गाँव गली से चली 
वे हुए जग पावन तीरथ गंगा . 
लाके तुम्हें जग धन्य किये 
खुद  धन्य  हुए हैं भगीरथ गंगा .
 

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