गंगा : डॉ.उमाशंकर चतुर्वेदी 'कंचन'
गंगा
शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011
भारत ही नहीं सारे धरा के
लिए यह वैभव हृष्टि है गंगा ।
भारत के लिए ब्रह्मद्रवी ,
खुद
भारत है , यह वृष्टि है गंगा ।
भारत में हैं जो आरत के वश
ताके लिए यह दृष्टि है गंगा।
धारत भारत , भारत धारत ,
एक अनोखी ये सृष्टि है गंगा ॥
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