शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

भारत ही नहीं सारे धरा के


लिए यह वैभव हृष्टि है गंगा ।


भारत के लिए ब्रह्मद्रवी , खुद


भारत है , यह वृष्टि है गंगा ।


भारत में हैं जो आरत के वश


ताके लिए यह दृष्टि है गंगा।


धारत भारत , भारत धारत ,


एक अनोखी ये सृष्टि है गंगा ॥

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