शुक्रवार, 28 जनवरी 2011


अद्भुत रूप अमंगल नाशिनि,

आदि अनंत अनूपा है गंगा ।

भूमि विहारिणि कल्मषहारिणि ,

देवता है, सूरभूपा है गंगा ।

ब्रह्मद्रवी सब जानते हैं पर

सत्य में ब्रह्मस्वरूपा है गंगा ।

देती क्षुधा को असीमित तृप्ति

सुभक्तजनों की अपूपा है गंगा ॥

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