गंगा : डॉ.उमाशंकर चतुर्वेदी 'कंचन'
गंगा
शनिवार, 17 मार्च 2012
भगीरथ गंगा .
कैसे कहूँ कितना महनीय है
एक तपी की तू कीरत गंगा .
राग विराग तियाग भू भाग
दिखात निरंतर श्री रथ गंगा .
तू जिस गाँव गली से चली
वे हुए जग पावन तीरथ गंगा .
लाके तुम्हें जग धन्य किये
खुद धन्य हुए हैं भगीरथ गंगा .
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