देखने में ये मनोरम है
बहुबिम्ब दिखाती सचित्र है गंगा .
दादा के दादी की, नाना के नानी की
नानी की भी रही पित्र है गंगा .
कोई कुगामी भले रिपु माने
परन्तु सभी की ये मित्र है गंगा .
पाहन पावन और अपावन को
करती है पवित्र ये गंगा ..
सुर्यसुता को समेटी है ये
सुखधाम की श्री अरु सोम है गंगा .
वामन रूप में विष्णुबली की
कथा की गवाह ये व्योम है गंगा .
है अरुणा, वरुणा, करुणा यह
तेज की पुंज है, ओम है गंगा .
आयुष बाँटती है दिन रात
सदा विषसार विलोम है गंगा..