गंगा : डॉ.उमाशंकर चतुर्वेदी 'कंचन'
गंगा
मंगलवार, 26 जून 2012
पधारी हो गंगा
दीन दुखी बड़े सभ्य सुखी
सच में सबकी महतारी हो गंगा .
नेक जनों को तो तारी ही हो बड़े
पातकियों को भी तारी हो गंगा .
है इतिहास असंख्य जनों का
तू जीवन जन्म सुधारी हो गंगा .
औ ' भवलोक के शोक मिटाने
के हेतु धरा पे पधारी हो गंगा
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