शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011


गं से गणेश पुजावत आदि हैं

अक्षर आदि तुम्हारा है गंगा ।

गाय में तैतिस कोटि बसे सुर

गा वह रूप तुम्हारा है गंगा ।

विघ्न विनाशिनि औ जग पालिनि

पावन नीर तुम्हारा है गंगा

तेरे बसे से जो भूमि है स्वर्ग समान

वो भारत प्यारा है गंगा ॥

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