गंगा
गं से गणेश पुजावत आदि हैं
अक्षर आदि तुम्हारा है गंगा ।
गाय में तैतिस कोटि बसे सुर
गा वह रूप तुम्हारा है गंगा ।
विघ्न विनाशिनि औ जग पालिनि
पावन नीर तुम्हारा है गंगा ।
तेरे बसे से जो भूमि है स्वर्ग समान
वो भारत प्यारा है गंगा ॥
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