शनिवार, 26 फ़रवरी 2011


छूवत ना यमदूत उन्हें

जिनके मुख बूंद विराजत गंगा।

छूने की कोशिश जो करते

हटते यह देख कि छाजत गंगा ।

पापी पुराने भले रहते पर

मुक्ति के द्वार ये साजत गंगा ।

पाप की कालिख धोने की खातिर

धर्म के तत्त्व से माजत गंगा ॥

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