गंगा
छूवत ना यमदूत उन्हें
जिनके मुख बूंद विराजत गंगा।
छूने की कोशिश जो करते
हटते यह देख कि छाजत गंगा ।
पापी पुराने भले रहते पर
मुक्ति के द्वार ये साजत गंगा ।
पाप की कालिख धोने की खातिर
धर्म के तत्त्व से माजत गंगा ॥
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