गंगा
गोमुख नीचे जहाँ मिलती गति
विष्णुप्रयाग, प्रणाम है गंगा ।
कूजित है कलनाद जहाँ
वह कर्णप्रयाग, प्रणाम है गंगा ।
नेह से तू नहलाती धरा जहँ
नन्दप्रयाग, प्रणाम है गंगा ।
रूप जहाँ बहुरुप लगे वह
देवप्रयाग, प्रणाम है गंगा ।।
मां गंगा को समर्पित यह रचना अच्छी लगी।
नयनाभिराम दृश्य और सुन्दर सुरसरि कविता !
मां गंगा को समर्पित यह रचना अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंनयनाभिराम दृश्य और सुन्दर सुरसरि कविता !
जवाब देंहटाएं