गंगा
पाप की नाशिनि,ताप विनाशिनि,
वारि निवासिनि दानी है गंगा ।
शीश निवासिनि औ मृदुहासिनि
काशी सुहासिनि बानी है गंगा ।
भाव प्रकाशिनि,त्रासद नासिनि,
औ अनुशासिनि , मानी है गंगा ।
काव्य सुभासिनि ,ज्ञान विकासिनि,
एक अनूठी कहानी है गंगा ॥
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