गंगा
अद्भुत रूप अमंगल नाशिनि,
आदि अनंत अनूपा है गंगा ।
भूमि विहारिणि कल्मषहारिणि ,
देवता है, सूरभूपा है गंगा ।
ब्रह्मद्रवी सब जानते हैं पर
सत्य में ब्रह्मस्वरूपा है गंगा ।
देती क्षुधा को असीमित तृप्ति
सुभक्तजनों की अपूपा है गंगा ॥
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