जो कि बुझाए बुझे न कभी
वह पावन जीवन दीप है गंगा ।
बाँटती है दिन रात कृपा
कभी रीती नहीं वो महीप है गंगा ।
दूर कहीं बहती है परन्तु
ये नाम के रूप समीप है गंगा ।
है जलराशि महाधन राशि
की मोती भरी यह सीप है गंगा ॥
वह पावन जीवन दीप है गंगा ।
बाँटती है दिन रात कृपा
कभी रीती नहीं वो महीप है गंगा ।
दूर कहीं बहती है परन्तु
ये नाम के रूप समीप है गंगा ।
है जलराशि महाधन राशि
की मोती भरी यह सीप है गंगा ॥
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