आशिष देती रही है सदा
अगरा - अगरा अभिसारिणी गंगा ।
मानुष और मनुस्मृति की
गरिमा रखती मनोहारिणी गंगा ।
बालक वृध्द युवा नहीं देखती
भाव प्रवाह विहारिणी गंगा ।
शाश्वत शुध्द स्वरूप लिए
सुख खान बनी कलुहारिणी गंगा ॥
अगरा - अगरा अभिसारिणी गंगा ।
मानुष और मनुस्मृति की
गरिमा रखती मनोहारिणी गंगा ।
बालक वृध्द युवा नहीं देखती
भाव प्रवाह विहारिणी गंगा ।
शाश्वत शुध्द स्वरूप लिए
सुख खान बनी कलुहारिणी गंगा ॥
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