मंगलवार, 17 जनवरी 2012

मनोहारिणी गंगा

आशिष      देती     रही       है     सदा
अगरा - अगरा   अभिसारिणी गंगा ।
मानुष     और       मनुस्मृति       की
गरिमा   रखती   मनोहारिणी गंगा ।
बालक    वृध्द    युवा    नहीं   देखती
भाव     प्रवाह      विहारिणी    गंगा ।
शाश्वत       शुध्द      स्वरूप      लिए
सुख खान बनी   कलुहारिणी गंगा ॥

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